कॉलेज विद्यार्थियों में डिजिटल थकान और मनोवैज्ञानिक तनाव का अध्ययन
Abstract
डिजिटल तकनीक के अभूतपूर्व प्रसार ने उच्च शिक्षा को नया आयाम दिया है, परंतु इसके परिणामस्वरूप भारतीय कॉलेज विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हुआ है। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद, ऑनलाइन शिक्षण, वर्चुअल क्लासरूम और सोशल मीडिया की अतिसक्रियता ने 'डिजिटल थकान' (Digital Fatigue) और मनोवैज्ञानिक तनाव (Psychological Stress) को बढ़ा दिया है (Sharma, 2022)। प्रस्तुत शोध, 1628 भारतीय कॉलेज विद्यार्थियों पर किए गए एक मल्टी-सिटी सर्वे और विशेषज्ञों के गहन साक्षात्कारों पर आधारित है।
प्रमुख निष्कर्षों से ज्ञात हुआ कि 71% छात्रों ने दैनिक डिजिटल थकान की शिकायत की, जिसमें चिंता, अवसाद और अनिद्रा के उच्च लक्षण पाए गए। डिजिटल थकान और मनोवैज्ञानिक तनाव के मध्य एक महत्त्वपूर्ण सह-संबंध ($r = 0.48$) दर्ज किया गया। शोध में तनाव के कारकों (असाइनमेंट प्रेशर, सोशल मीडिया तुलना), लिंग-आधारित अंतर (महिलाएँ 15% अधिक भावनात्मक दबाव में), संस्थागत प्रभाव (सरकारी/निजी) तथा दीर्घकालिक समाधान (नीतिगत व संस्थागत बदलाव) की विस्तृत समीक्षा की गई है। यह अध्ययन नीति-निर्माताओं और शैक्षणिक संस्थाओं को छात्रों के कल्याण हेतु प्रभावी 'डिजिटल वेलनेस' नीतियाँ बनाने के लिए वस्तुनिष्ठ डेटा और सुसंगठित सुझाव प्रदान करता है।
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Copyright (c) 2025 डॉ. अनुपम अग्रवाल (Author)

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